देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू हुए काफी समय हो चुका है बावजूद इसके खरीददारों के लिए ट्रांजेक्शन बिल को लेकर हुआ ये बदलाव ज्यादा स्मूथ नहीं रहा है. वजह ये कि कई बार ग्राहकों को फर्जी बिल पकड़ा दिए जाते हैं या फिर यूं कहें कि GST के नाम पर ज्यादा पैसे वसूले जाते हैं. वहीं इन दिनों जीएसटी के नाम पर की जा रही ठगी के मामले काफी ज्यादा हो गए हैं. लेकिन जीएसटी रजिस्ट्रेशन सभी दुकानों के लिए जरूरी नहीं है इसलिए वो आपसे GST चार्ज नहीं वसूल सकते हैं. इसे लेकर सरकार लोगों को अलर्ट भी कर रही है.
जिस बिल में GSTIN नंबर मौजूद है उसमें सेंट्रल GST (Goods and Services Tax) और स्टेट GST का अलग ब्रेक अप जरूर होना चाहिए. कई कारोबारी या दुकानदार पुरानी रसीद के जरिए ही GST की वसूली कर रहे हैं. इसमें वैट या टिन नंबर दिया होता है. ये तरीका गलत है. इसके अलावा कुछ तरीके है जिनसे आप इस तरह के झांसे में आने से बच सकते हैं और सही बिल की पहचान कर सकते हैं. जानिए कैसे…
ऐसे वेरीफाई करें अपना बिल
वेबसाइट https://www.gst.gov.in ओपन करें.
अब सर्च टैक्स पेयर ऑप्शन में जाकर सर्च बाय GSTIN/UIN पर क्लिक करें.
अगर जीएसटी नंबर गलत है तो आपको नोटिफिकेशन मैजेस दिखेगा और सही नंबर एंटर करने को कहा जाएगा.
अगर नंबर सही है तो उसका स्टेटस शो होगा. जिसमें कारोबार का नाम, राज्य, रजिस्ट्रेशन की तारीख, कारोबार का प्रकार-प्राइवेट या पब्लिक लिमिटेड कंपनी जैसी डिटेल्स शामिल होंगी.
अगर वेबसाइट GSTIN/UIN वेरिफिकेशन पेंडिंग का मैसेज दिखा रही है तब भी यह सही है.
चेक करें GSTIN/UIN स्ट्रक्चर
GSTIN/UIN के पहले दो नंबर स्टेट कोड के लिए होते हैं. हर राज्य के लिए अलग कोड तय है जैसे महाराष्ट्र का कोस 27 और दिल्ली का कोड 07 है. इसके अगले 10 अंक कारोबार मालिक या दुकान का पैन नंबर होते हैं.
ध्यान देने वाली बात ये कि अगर दुकानदार आपको 15 डिजिट के GST नंबर के साथ कंप्यूटर या हाथ से बना बिल नहीं देता तो आपको मिला बिल फर्जी हो सकता है. कस्टमर वाणिज्य कर विभाग में इसकी शिकायत कर सकता है.